कम्बल दान किसी महादान से कम नही।

kambal vitran


जिस प्रकार हम अन्नदान करते है, वस्त्र दान करते है, भूदान करते है। ठीक उसी प्रकार कम्बलदान भी करना चाहिए। क्योंकि अक्सर हम देखते है। कि बहुत से लोग ठंड से ठिठुरकर मर जाते है। क्योंकि उनके पास ना तो ठंड से बचने के लिए कपड़ा होता है। और ना ही कम्बल जो उन्हें ठंड से बचा सके।
हम और आप मिलकर अगर एक मुहीम चलायें तो निश्चित रूप से ऐसा समय जरूर आयेगा। जब कोई भी वंचित ठंड से नहीं मरेगा। और यह हमारा और आपका उत्तरदायित्व होना चाहिए। हम ऐसे असहाय लोगों की हर सम्भव मदद करें जिनकी सहायता करने में अक्सर लोग हिचकते है।

kambal vitran


कम्बल दान क्यों आवश्यक है।
ठंढियां शुरू हो रही है। और अक्सर हम पेपर या अखबारों में रोज सुनने को मिलता है। आज वहां ठंड के कारण इतने व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी। परन्तु हम क्या करते है। पेपर में खबर पढ़ के कुछ समय के लिए शोक मना के फिर उस घटना को भूल जाते है।
हम यह भी भूल जाते है। कि हम भी इसी समाज में रह रहे है। और ये जिनकी मृत्यु ठंड लगने के कारण हुयी है। ये भी हमारे भाई-बन्धु ही है। और इनके प्रति इस तरह की उदासीनता शायद अच्छी नहीं। अब इन परिस्थितियों में कुछ लोग इन सब का इल्जाम सरकार पर डालकर खुद को इससे मुक्त कर लेते है। किंतु हमें समझना होगा कि इनको रोका जा सकता है। इसके लिए हमें खुद को तथा औरों को थोड़ा सा जागरूक करना होगा।
इसके लिए आप स्वंय से जब भी आपको कोई ऐसा व्यक्ति दिखे जिसको ठंड से बचने के लिए कम्बल की आवश्यकता है। तो आपको निसंकोच ऐसे व्यक्तियों की मदद करनी चाहिए। या फिर आपके पास अगर समय का अभाव है, तब भी कुछ समाजसेवीं संस्थानों जैसे कि भाग्य मंदिर से जुड़कर ऐसे वंचित लोगों की मदद कर सकते है।
वैसे आपको बताते हुए हमें हर्ष प्रतीत हो रहा है। कि भाग्य मंदिर सेवा संस्थान इस दिशा में सदैव तत्पर रहा है। वह चाहे कोरोना काल में भूखों को भोजन खिलाना हो या फिर गरीबों को कंबल वितरण करना हो।

कम्बल दान का महत्व।
दान करना प्राचीन समय से ही हमारी यह संस्कृति रही है। जहां राजा हरिश्चंद ने बिना किसी भय और संकोच के अपना सर्वस्व दान कर दिया था। ठीक उसी प्रकार कम्बल दान भी वस्त्र दान के समान ही है। आपको इससे जो पूण्य मिलता है। उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। दान के विषय में इसीलिए कहा गया है-
दानेन प्राप्यते स्वर्गो दानेन सुखमश्नुते ।
इहामुत्र च दानेन पूज्यो भवति मानवः

अर्थात दान से स्वर्ग प्राप्त होता हैए दान से ही सुख मिलता है । इस लोक और परलोक में इन्सान दान से ही पूज्य बनता है ।

इस दुनियां में अमीर एवं गरीब दोनों प्रकार के लोग पाये जाते हे। किंतु आप अपना धन कभी अपने साथ नही ले जा सकते हे। अंत समय सब यहीं छूट जायेगा। तो क्यों ना हम अपने धन का कुछ भाग ऐसे वंचित व्यक्तियों की सेवा में लगाये।

आपका एक छोटा सा दान कयी लोगों की जिंदगियों को रोशन कर सकता है।

तो आइये, आदरणीय सौरभ जी महराज की गरीबों को कंबल वितरण की इस मुहिम से जुड़ते है। और लोगों की सेवा कर स्वंय को पून्य का भोगी बनाते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *